Best Blogger Tips

Banner

-

Mar 24, 2014

गंगा आरती के दिए ..

मेरे घर से कुछ दूर कुछ झोपड़ों की छाँव में,
खेलते कुछ बालकों का झुण्ड है उस गाँव में.
धूल धूसित गात जो श्याम  वर्ण था कभी,
सूर्य कि किरणो में तप कर ताम्र वर्ण है अभी.
सर पे गारा ढोते माँ  बाप की आँखों के तारे हैं,
मेरे आप के लिए चाहे कुछ न सही, उनके लिए सितारे हैं.
रोटी और कपडे की जद्दोजहद के  बीच जो पिस रहे,
दूध के ख्वाबों से जग कर अपना बचपन पी रहे.
ये शायद वो ही दिए हैं जो दस के पांच बिकते हैं,
गरीबी के साँचो में ढल के, मजदूरी की आग में सिकते हैं.
दिशाहीन या दिशाविहीन ये बस बहते चले आते हैं,
गंगा आरती के बाद ये ही हैं जो विसर्जित किये जाते हैं.


Contents of this blog / published on any of it’s pages is copyrighted and the sole property of the author of this blog and copying, disclosure, modification, distribution and / or publication of the content published on this blog without the prior written consent of the author is strictly prohibited.

No comments:

Post a Comment

Happy New Year